Thursday, 25 November 2021

भालू के बारे में रोचक जानकारियां


भालू के बारे में रोचक जानकारियां


1. किसी भालु के दांतो में छोटे-छोटे छल्लों की माइक्रोस्कोप की सहायता से गणना करके उसकी आयु का अंदाजा लगाया जा सकता है।

2. भालुयों के खालों की परते होती है। छोटी परत उसे गर्म रखती है जबकि बड़ी परत उसकी चमड़ी और खाल की छोटी परत को पानी से बचाती है।

3. भालु बहुत ही बुद्धीमान जीव होते है। अगर किसी शिकारी ने इनका शिकार करने के लिए कोई चारा डाला हो तो भालु इसे अच्छी तरह से समझ जाते हैं और चारा सावधानी पुर्वक खाते हैं।

4. जंगल के भालु तीस साल की आयु तक जीते है जबकि बंदी भालु(जिन्हें मानव द्वारा कैद किया गया है) 47 साल तक जी सकते हैं।

5. केवल ध्रुवीय भालु ही पूरे माँसाहारी होते है जबकि बाकी के सारे भालु सर्वभक्षी अर्थात जानवर और पौधे दोनो खाने वाले होते हैं।


6. सुर्य भालुयों के पंजे सबसे ज्यादा बड़े होते है। इसके इलावा इनकी जीभ भी सबसे लंम्बी होती है जो कि साढ़े 9 इंच तक पहुँच जाती है।

7. भालु 64 किलोमीटर प्रति घंटे की रफतार से भाग सकते है जो कि एक दौड़ते धोड़े को पकड़ने के लिए पर्याप्त है। सबसे तेज मनुष्य जो अब जीवित है मतलब कि युसेन बोल्ट वह 43 किलोमीटर प्रति घंटा की रफतार से दौड़ सकते हैं।

8. एक साधारण भालू की हृदय गति 40 प्रति मिनट होती है जबकि एक शीतकालीन नींद में सो रहे भालु की हृदय गति 8 प्रति मिनट होती है।

9. कुछ भालु अपनी पिछली दोनों टागों पर चल सकते है। इसलिए कभी दूर से देखने पर वह ऐसे लगते हैं जैसे कि कोई मनुष्य विचित्र ढंग से चल रहे हों।

10. काले भालु पूरी तरह से काले नही होते बल्कि यह कुछ इंन्द्रधनुष जैसे होते है इसकी चमड़ी काली से लाल-भुरी और फिर सफेद थोड़ी सी सफेद होती है।

11. भालू ऐसे स्तनपाई है जो कि रंगो में भी देख सकते है जबकि ज्यादातर रंगों की जगह तरंगों का उपयोग करते हैं।

12. संसार का सबसे साधारण भालू भूरा भालू है।

13. जब भालु सहवास करते है जब मादा भालु निश्चेति अंडो को अपने गर्भ में नही डालती बल्कि उन्हें विकसित होने के लिए कुछ महीने अपने अंदर ही पर गर्भ से बाहर रख लेती है।

14. भालुयों की टांगे कमान जैसी होती है। यह इनकी पकड़ और संतुलन को ओर बेहतर बनाते है।

15. एक तैरने वाला ध्रुवीय भालु पाने में 8 फुट लंम्बी छलांग लगा सकता हैं।


16. एक पैंडा भालु के एक अतिरिक्त अंगुठा होता है जो कि असल में उनकी कलाई की उभरी हुई हड्डी होती है। यह उन्हें बाँस को उखाड़ने में सहायता करती है जो कि वह खा जाते हैं ।एक पैंडा भालु एक दिन में 21 किलो तक बाँस खा सकता है।

17. दैत्य पैंडा भालु का सिर बहुत बड़ा होता है। वैज्ञानिक मानते है कि यह इनके मजबूत जबड़े और गर्दन की मासपेशीयों के लिए होता है जो क इन्हें बाँस चबाने में सहायता करते है। बाँस इनकी खुराक का 99 प्रतीशत हिस्सा है। और बाकी का एक प्रतीशत बाँस पर लगे कीड़े होते है जा फिर माँस जो इनको कहीं पर मिल जाता है।

18. दक्षिणी अमेरिकी भालुयों का पसंदीदा भोजन दीमक है । इन भालुयो के अगले दाँत नही होते इसलिए यह छत्तों में फसें दीमको और कीड़ों को आसानी से चूस लेते हैं।

19. अब तक ज्ञात ज्यादातर भालू सब कुछ खा सकते है। यहां तक कि स्नोमोबाइल सीटें, इंजिन तेल और रबड़ के बूट भी।

20. अमेरिका के लगभग 98 प्रतीशत ग्रजीली भालू अलास्का में रहते है।


21. एक ध्रुवीय भालु बिना आराम किए 160 किलोमीटर तक तैर सकता है।

22. भालू भी मनुष्यों की तरह अच्छी तरह से देख सकते है। पर उनके सुनने की समता हमसे थोड़ी कम होती है। पर भालुयों के सुंघने की समता मनुष्य से 100 गुना ज्यादा होती है। ध्रुवीय भालु 32 किलोमीटर दूर की गंध को आसानी से सुंघ सकते है। इसके इलावा वह बर्फ के अंदर तीन फीट तक गड़ी संमुद्री मछली की गंध तो आसानी से सुंघ सकती है।

23. ‘Bear’ अंग्रजी का एक पुराना शब्द है जिसका अर्थ है – ‘चमकता भुरा।’

24. भालू संयुक्त रसीया पार्टी का चिन्ह है जो कि उनकी शक्ति और गौरव को दर्शाता है। इसके इलावा कई परी कहानीयों और मिथक कहानीयों में भी भालु आता है।

25. ध्रुवीय भालू, भालूयों की सबसे बड़ी प्रजाति है ।एक बार ध्रुवीय भालु का वजन 480 किलो तक होता है जो आठ व्यस्क मनुष्यों के बराबर है। पर मादा ध्रुवीय भालू नर से 50 प्रतीशत छोटी होती है।

26. कुछ ऐसे काले भालु भी होते है जो कि सफेद भालू में बदल जाते है। यह भालू बहुत दुर्लभ होते है। कुछ अमरीकी मानते है कि इनके पास कोई दैवी शक्ति होती है।

27. भालूयों का क्रमिक विकास छोटे से बड़ा हुआ। पहले के भालू महज एक कुत्ते के आकार के थे। अब तक का सबसे पुराना ज्ञात भालु Dawn bear है जो दो करोड़ साल पहले धरती पर रहता था और उसका आकार महज एक छोटे कुत्ते के जितना है।

28. भालू कभी भी ऑस्ट्रेलीया और अंटारकटिका में नही रहे। हालांकि अफ्रीका में भी वर्तमान समय में भालू नही पाए जाते। पर भालुयों के अधिकतर कंकाल अफ्रका से ही मिले है। वैज्ञानिक अभी भी अनजान है कि यह अब अफरीका में क्यों नही रह रहे।

29. दक्षिण अमरीकी भालु एकलौते भालू है जो कि रात्रि को अधिक क्रियाशील होते हैं।


30. ध्रुवीय भालुयों की चमड़ी के एक इंच वर्ग के क्षेत्र में 9600 के लगभग बाल होते हैं।

31. भालूयों के पैरों के अगले पंजो, पिछले पंजो से अधिक बड़े होते है।




Wednesday, 19 December 2018

जानिए दूसरे विश्वयद्ध का भारत पर किया प्रभाव पड़ा


  •     जानिए दूसरे विश्वयद्ध का भारत पर किया प्रभाव पड़ा


दूसरा विश्व युद्ध 1939 से 1945 तक चला इस युद्ध का भारत की सुतंत्रता संग्राम पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। 1945 में विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद भारत के इतिहास में एक नए युग का आरंभ हुआ। अभी तक इंग्लैंड विश्व की सर्वसक्ति थी। लेकिन अब इसका स्थान रूस और अमरीका ने ले लिया।

ये दोनों महाशक्ति भारत की स्वतंत्रता के तरफ थे। इस लिए दोनों ने इंग्लैंड पर दबाव बनाया। दूसरे विश्व युद्ध के बाद इंग्लैंड की आर्थिक और सैनिक शक्ति बहुत कमजोर हो गयी। इसलिए इंग्लैंड की सरकार अब भारत मे अपना कब्जा बनाये रखना मुस्किल हो गया। उसी समय एशिया और अफ्रीका में सवादीनता के लिए आंदोलन तेज हो गया। इंग्लैंड में अब कंजरेटिव पार्टी की सरकार की जगह लेबर पार्टी की सरकार बनी। इंग्लैंड का प्रधानमंत्री जो की जो की कंजरेटिव पार्टी से था उस ने भारत को आजादी देने के पक्छ में नही था । उसका कहना था कि वो इंग्लैंड और भारत के साम्राज्य की तबाही के लिए प्रधानमंत्री नही बना। लेकिन अब लेबर पार्टी के प्रधानमंत्री लार्ड एटली के प्रधानमंत्री बने और वो भारत की आजादी के पक्ष में थे। दूसरे विश्व युद्ध के बाद भारत में बहुत तेजी से परिवर्तन हो रहे थे। जिस का नतीजा ये निकला की भारत को 15 अगस्त 1947 में आजादी मिली




Friday, 7 December 2018

जानिए किन कारणों से हुआ 1947 में भारत और पाकिस्तान का बंटवारा


जानिए किन कारणों से हुआ 1947 में भारत और पाकिस्तान का बंटवारा


भारत के दो देशो में विभाजित होने के बहुत से कारण
जिमेदार है। जिस कारण 1947 में भारत की आजादी के समय इसका दो देशो में विभाजन हो गया। आज हम आप को भारत के विभाजन के कुछ  के बारे में बताएंगे।

1. मुस्लिम लीग का गलत दृष्टिकोन



भारत के विभाजन में मुस्लिम लीग का स्वार्थी दृष्टिकोन है। शुरुयात में तो मुस्लिम लीग की स्थापना मुसलमानों के हितों के लिए किया गया था। मुस्लिम लीग के संस्थापक सर सैयद अहमद खां और बाद में जिन्हा ने दो राष्ट्र के सिद्धांत को जन्म दिया और जोर सोर से इसका प्रचार किया। और इस उदेस को पूरा करने का पाक मन बना लिया।

2.कांग्रेस की कमजोर नीति



भारत के विभाजन में कांग्रेस की कमजोर नीति भी महत्वपूर्ण है। क्यू की शरुआत से ही कांग्रेस मुस्लिम लीग के साथ नर्म बर्ताव करती या रही थी जिस कारण उनका हौसला और भी बढ़ गया। जैसे की मुस्लिम लीग को फिरकुप्रस्ति फैसला 1932 की मंजूरी और आर योजना में कई तरह के रियायतों को देना, और मुसलमानों में उनके प्रति भरोसा और बढ़ गया। जिस कारन उनका हौसला इतना बढ़ गया  वो समझ गए थे की कांग्रेस उनकी हर मांग को ओर करेगी। जिस कारन दिन प्रति दिन उनकी मांगें बढ़ती गयी। और कांग्रेस इनका विरोध करने में असमर्थ हो गयी। जिस नतीजा ये था कि भारत का विभाजन होना तय हो गया।

3.ब्रिटिश सरकार की नीति



भारत के विभाजन का असली कारन ब्रिटिश सरकार है। अंग्रेजो ने बहुत ही शातिर तरीके से इसे अंजाम दिया उनकी नीतियां तो पूरे विश्व में मशहूर है। अंग्रेजो ने शुरुआत से ही फुट डालो  और राज करो नीति को अपनाया। उन्हों ने हिन्दुयों और मुसलमानों को एक दूसरे के खिलाफ भड़काते और राज करते। उनकी इसी नीति कारन ही अंग्रेज भारत पर अपना शासन ज़माने में कामयाब हुए । अंग्रेजो ने मुस्लिम लीग के अंगरो को इतनी हवा दी आधा भारत उस की  चपेट में या गियया।

4.दंगे फसाद होने



पाकिस्तान की मांग के और मुस्लिम लीग की सीधी कारवाही के कारण सारा देश गृह युद्ध की चपेट में या गया हतिया, चोरी,लूटमार,आग लगाने,इमारतों को नुक्सान पहुचने की घटनाएं दिन व् दिन बढ़ती चली गयी। इन सब घटनायों को देखते हुए लेडी माउंटेन नेहरू जी से मिली और कहा कि किया इस खून खराबे से अच्छा नई की मुस्लिम लीग की बात मान लिया जाये दूसरी तरफ लार्ड माउंटेन ने भी सरदार पटेल को भारत के विभाजन के लिए मना लिया।

5.मौजूदा सरकार की असफलता



उस समय मुस्लिम लीग और कांग्रेस की सरकार को एक साथ काम करने का मौका मिला लेकिन मुस्लिम लीग कांग्रेस की राह में कई रोड़े अटका रही थी। जिस कारण देश में दंगे आदि हो रहे थे। जिस कारण कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के साथ काम न करने का मन बना लिया।

6.अंग्रेजो का भारत को आजाद करने के एलान



20 फरवरी 1947 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने ये एलान किया कि वो जून 1948 तक भारत को आजाद कर देंगे। इस लिए ये जरूरी है की मुस्लिम लीग और कांग्रेस आपस में समझौता करले। नतीजा ये हुआ की कांग्रेस मजबूर हो कर ब्रिटिश सरकार की भारत विभाजन की योजना को स्वीकारना पड़ा।







Saturday, 1 December 2018

जानिए कैसे पड़ा व्हाईट हॉउस का नाम व्हाईट हॉउस

     कैसे पड़ा व्हाइट हॉउस का नाम व्हाईट हॉउस


नमस्कर दोस्तों आप ने कई बार टीवी,अख़बार, रेडियो, मैगजीन आदि पर व्हाइट हाउस का नाम तो सुना या फिर पढ़ा होगा। दरसल व्हाइट हाउस अमेरिका के वांशिगटन में मौजूद राष्ट्रपति भवन को कहते है। लेकिन दोस्तों किया आप को पता है कि अमेरिका के राष्ट्रपति भवन को व्हाइट हाउस क्यू कहते है।

दोस्तों व्हाइट हाउस को हमेशा से व्हाइट हाउस नही कहा जाता था। और न ही ये शुरुआत से ही सफ़ेद रंग का था। लेकिन बाद में इसे सफ़ेद रंग से रंग दिया गया। तभी से इसे व्हाईट हॉउस नाम दिया गया।
क्यू पड़ा

व्हाईट हॉउस नाम

साल 1814 तक व्हाइट हॉउस को राष्ट्रपति भवन ही कहा जाता था। लेकिन साल 1812-15 तक चले अमेरिका और ब्रिटेन के बीच लड़ाई में जब ब्रिटिश आर्मी ने वांशिगटन में बहुत सी जगहों पर आग लगा दी इस आग की चपेट में अमेरिका का रास्ट्रपति भवन भी या गया जिस कारण इस ईमारत की खुबसूरती चली गयी। युद्ध की समाप्ति के बाद इसे फिर से आकर्षित बनाने के लिए इसे पूरी तरह से सफ़ेद रंग में रंग दिया गया। साल 1902 में इसे अधिकारित तोर पर व्हाइट हॉउस नाम दिया गया। तब से वाइट हॉउस का के नाम से प्रसिद्ध हो गया

Thursday, 22 November 2018

कैसे चमकती है आसमानी बिजली

                          कड़कती  बिजली


बारिश के मौसम में तो बिजली का कड़कना आम बात है।लेकिन क्या आप जानते है। हर दिन करीब 30 लाख बार से भी ज्यादा कड़कती है। मतलब प्रति सेकेण्ड 35 बार धरती के भू मध्य रेखा के आप पास सबसे ज्यादा बार बिजली कड़कने की घटनाएं होती है।

बिजली कैसे बनती है।

बहुत से लोग ये सोचते होंगे की आसमान में कड़कने बाली बिजली आखिर बनती कैसे है
आसमानी बिजली दरअसल के विद्युत की बहुत ही ज्यादा शक्तिसाली धारा है।
जो की हमारे घर में दौड़ने बलि बिजली से कई गुना खतरनाक होता है। इसका बनना इस बात पर निर्भर करता है की बदलो में धूल,पानी,और बर्फ, के कण आपस में कितनी तेज और जोर से टकराते है इनके टकराने से ही बदलो में इलेक्ट्रॉनिक तरंगे उत्पन होती है

 

एक सामान नही होती बिजली

आसमान में कड़कने बाली बिजली एक सामान नही होती।
जिस प्रकार मुनष्य के उंगलियों के निशान एक समान नही होते। उसी प्रकार बिजली के आकार प्रकार,तीव्रता, में अंतर होता है।




बिजली का कड़कना बादल का गर्जना

बिजली के कड़कते समय जोर से आवाज़ होती है तो इसे बदल का गर्जना कहते है। ये आवाज़ बिजली के कोंध से उत्पन गर्मी के कारण हवा में विस्फोट से होता है। दरसल बिजली का कड़कना और बादल का गर्जना एक साथ होने वाली प्रक्रिया है। लेकिन प्रकाश की गति ध्वनि की गति से तेज होती है। इसी कारण है कि हमें बादल की कोंध और प्रकाश मे कुछ समय का अंतर दिखता है।

Saturday, 17 November 2018

जानिए दुनिया के जब, कुछ अनजाने तथ्य

                     क्या आप जानते हो???


1. जैतून के पेड़ की उम्र 1500 वर्ष तक हो सकती है।

2. हाथी इकलौता 4 घुटने वाला जानवर है।

3. एक अनुमान के मुताबिक धरती का वज़न 65,88,00,00,00,00,00,00,000 टन है।

4. एक रानी मधुमखी रोज 1500 अंडे देती है।

5. कुते अपने गले से 10 प्रकार और बिल्लिया लगभग 100 प्रकार के आवाज निकल सकती है।

6. एक घोंगा लगातार 3 वर्ष सोया रह सकता है।

7. नींद में हमारे शरीर से100 वाल्ट की ऊर्जा उत्पन होती है।

 8. मानव शरीर की 25% हड्डियां पैरो में होती है।

9. सिर्फ तोता और ख़रगोश ही ऐसे जीव है, बिना गर्दन घुमाये पीछे देख सकते है।

10. धरती का 85% बनस्पति का हिसा समुन्द्र की की गहराइयों में है।

11. छछुंदर रात भर में 250 फुट तक सुरंग खोद सकता है।

12.इस्लाम भारत के साथ पूरी दुनिया का सबसे बड़ा धर्म है

13. कांच की गेंद रबड़ की गेंद से ज्यादा बाउंस होती है।

14. ध्वनि हवा की गति अपेछा स्टील में 50 गुना ज्यादा तेजी से ट्रेवल करती है।

15. डॉल्फिन एक आंख खोल कर सोती है।





Wednesday, 14 November 2018

संसार में किये गए काम जो पहली बार हुये।

                संसार में की गयी पहली प्राप्तीया



1.सेप्रा तेनजिंग, एडमंन हिलेरी, माउण्ट एवरेस्ट पर जाने वाले पहले इंसान है।

2.रॉबर्ट पीयरी संसार के उत्तरी छोर पर जाने वाले पहले इंसान है।

3.अमंडसन  संसार में दछिनी छोर पर जाने वाले पहले इंसान थे।

4.संविधान की रचना करने वाला अमेरिका पहला देश है।

5.नील आर्मस्ट्रॉन्ग चाँद पर जाना वाले पहले इंसान थे।

6.मेग्लेंन सब से पहले समुंद्री यात्रा करने वाले इंसान थे।

7.नावंग गोम्वुवु  2 वार माउन्ट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाले पहले इंसान थे।

8.श्रीमति जुनको ( जापान ) माउंट ऐवरेस्ट पर जाने वाली संसार की पहली महिला है।

9.मार्गरेट थैचर ( इंग्लैंड ) संसार की पहली महिला प्रधानमंत्री थी।

10.संसार में पहली बार परमाणु बम्ब हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराया गया।

11.संसार की पहली किताब चीन में  छपी थी।

12.चीन पहला देश है जिस ने सिविल सर्विस में मुकाबले की शुरआत की

Tuesday, 13 November 2018

पैरासूट का इतिहास

                   जानिए पैरासूट का इतिहास


दोस्ते सदियों से मनुष्य की आसमान में उड़ने की इच्छा रही है।
इसलिए मानव ने हवाई जहाज , हेलीकॉप्टर, रॉकेट, यादि का आविष्कार किया। लेकिन खुले आसमान में उड़ने की इच्छा अधूरी ही रही। आज हम आप को मानव के उस अविष्कार के बारे में बातेंगये जो सायेद इस इच्छा को पूरी करती है। जी हां हम बात कर रहे है पैरासूट की। आज हम आप को पैरासूट के इतिहास के बारे में बातेंगये। 
दोस्तों पैरासूट का की खोज इतनी आसानी से नहीं हुयी। इसके लिए बहुत से लोगो ने ने मेहनत की है। यह तक की कुछ लोगो ने अपनी जान भी गवाई है

पैरासूट का इतिहास

कहते है। कि सबसे पहला पैरासूट इटली के वैज्ञानिक लुनार्डो दसी ने आज से करीब 500 साल पहले बनाई। उसके बाद बहूत से लोगो ने इसमें सुधार किये और नए डिज़ायन बनाये।

1783 एक फ्रांसीसी डॉक्टर ने लकड़ी के ढांचे पर कपडा लगा कर एक ऊँची इमारत से छलांग लगा कर सब को हैरान कर दिया।

1797 में एक और अन्य फ्रांसीसी आंद्रे गनिरंन ने हवा में उड़ते हुए गुब्बारे से 3000 फुट की ऊँचाई से छलांग लगाई।  इ देख कर वह मौजूद बहुत से लोग डर गए। लेकिन जैसे ही पैरासूट में हवा भरी आंद्रे आसानी से धीरे-धीरे नीचे उतर गए।

शुरुआत में पैरासूट लकड़ी के ढांचे से  में कपडा बाँध कर बनाये जाते थे। 
फान टासल नमक आदमी ने सूती कपड़े का पैरासूट बनाया जो बहुत मशहूर हुआ था। कुछ समय बाद रेसमी कपडे का उपयोग होने लगा जो बहुत हल्का और मजबूत हो गया।

अब पैरासूट नायलोन के बनते है। जो की बहुत हलके और पहले से काफी मजबूत  होते है। की रोचक बातें 

पैरासूट में उपयोग

आरंभ में पैरासूट से छलांग सिर्फ एक खेल के रूप में देखते थे। बाद में धीरे-धीरे लोगो को पता चला की इससे पायलट की जान भी बचाई जा सकती है। 

दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान हाजरो पायलटो ने अपनी जान पैरासूट बचाई।

पैरासूट के द्वारा दुश्मन के के परदेश में सेना उत्तरी जाती है।

खाने पीने का सामान व् बोम्ब वगेरा भी सेना के मोर्चे में पैरासूट के द्वरा गिराया जाता है।

पैरासूट के द्वरा बड़े और तेज चलने वाले हवाई जहाज को रोकने के लिए उप्योग में लाया जाता है। जिस से जहाज की गति काम जो जाती है और आसानी से ब्रेक लग जाता है।

कुछ लोग मनोरंजन के लिए भी बड़ी बड़ी इमारते या पहाड़ो के ऊपर से भी पैरासूट से छलांग लगाते है।

अंतरिक्ष यात्री भी पैरासूट से के द्वरा ही नीचे आते है।



Monday, 12 November 2018

रंग बदलने में माहिर ख़रगोश

               रंग बदलने में माहिर ख़रगोश  



दिखने में ख़रगोश जितना सूंदर होता है। उतना ही तेज़ तर्रार जर्नवर मन जाता है। आप को बता दे की ख़रगोश ब्रीटेन का सबसे मशहूर जानवर है। क्या आप जानते है। के ब्रीटेन के मुख्य निवाशी नही है। जी है करीब 900 साल पहले फ़्रांस से लाया गया था।


ख़रगोश का की बनावट

एक वयस्क ख़रगोश 40 सेंटीमीटर तक लंबा हो सकता है। और वजन की फर बहुत मुलायम और पूंछ लंबी होती है।


भोजन

ख़रगोश एक पूरी तरह से शाकाहारी जानवर है। ये घांस नए पौधे,जड़ी बूटियां, मुलायम  टहनियां आदि।

ख़रगोश के कान

ख़रगोश के कान बहुत बड़े और सेंसटिव होते है। इनकी सुनने की सकती बहुत तेज होती है। जो चारो तरफ मुड़ सकते है। और आस-पास के खतरों की जानकारी रहती है। और उन्हें
सचेत रहते है।


परिवार

ख़रगोश बिलो में रहते है। और बच्चो को भी वही जन्म देते है।
मादा खरगोश बच्चो की देखभाल करती है। जन्म के टाइम इनकी आँखे खुली होती है।


रंग बदलना

यु तो ख़रगोश ज्यादातर सफ़ेद रंग का ही पाया जाता है। लेकिन ये अपना रंग वातावरण, या जगह के हिसाब से बदल सकते है।


हमेशा सचेत रहना

ख़रगोश बहुत ही फुर्तीला जानवर होता है। जब भी इ भोजन या कोई और काम करते है तो दूसरा ख़रगोश हमेसा निगरानी करता है। और खतरा होने पर अपने पैर जोर जोर से पटकता है। और सभी ख़रगोश अपने अपने बिलो में चले जाते है।


वातावरण

ख़रगोश हमेसा हरे भरे मैदानों में या खेतो में रहना पसंद करते है। क्यू की उनका शिकार करने वाले जानवर कुते,लोमड़ी आदि नही होते।


Sunday, 11 November 2018

जानिए क्यू आता है मगरमछ को आंसू


                        मगरमछ के आंसू




दोस्तों आप ने मगरमछ के आंसू वाली कहावत तो सुनी होगी लेकिन किया आप जानते है कि मगरमछ शिकार करने के बाद आंसू क्यू बहता है।दरसल जब कोई मगरमछ या घड़ियाल कोई शिकार करता है तो इस प्रतीत होता की वो अपने द्वारा मारे गए  जीव के लिए दुःख प्रकट करता है, लेकिन ये सच नही है।
वास्तविकता तो ये है कि भोजन के बाद आंसू आना उनकी जैविक विवस्तिता है

मगरमछ के आँख में आँसू आने का कारण

अध्यनों से ये पता चला है कि जब कोई मगरमछ अपने शिकार है तो उनके अमाशय से पाचक द्रवों का रीसाव शुरू हो कर भोजन में मिल कर रासायनिक क्रियाये करने लगता है, इस क्रिया के कारण भोजन के पाचन के साथ साथ इनके शरीर में लवणों के स्तर में भी इजाफा होता है, इन लवणों का इनके शरीर से निकलना जरुरी होता है, नही तो इनके शरीर को नुकसान पहुँच सकता है।
मगरमछ के शरीर से इन हानिकारक लवणों को विसेष ग्रन्थियों दौरा बाहर कर दिया जाता है, लेकिन द्रव मुत्रस्य में नही आँखों के दोनों कोनो में खुलती है।
इस प्रकार जब भी मगरमछ के शरीर में लवणों की मात्रा बढ़ती है।।इनका बाहर की तरफ रीसाव होने लग जाता है।
और इस लगता है कि मगरमछ सच्च में रो रहा है।

Friday, 9 November 2018

जानिए साँपो के बारे में और उनके संसार को

                          सर्प संसार

साँप जो देख कर हर कोई डर जाता है। लेकिन डरने की कोई जरुरत नही। क्यूकी हर साँप जहरीला नही होता है पर हर साँप काटता जरूर है।आज हम आप को ऐसे ही साँपो के कुछ रोचक बाते बातेंयगे ।


साँपो की प्रजातियां
साँपो की लगभग 2500 प्रजातियां होती है। जिनमें से करीब 600 ही जहरिले होते है।

सबसे बड़े साँप
साऊथ अमेरिका में पाया जाने वाला ग्रीन एनाकॉन्डा सबसे सबसे बड़े साँप होते है। इनका वजन करीब 250 किलो से भी ज्यादा हो सकता है और लंबाई करीब 10 मीटर तक होती है।



सबसे छोटे साँप
लेसर एंटीलिन थ्रेड स्नेक 108 मिलीमीटर का होता है।

सबसे जहरीला साँप
सी स्नेक वैसे तो सब से जहरीला साँप है। लेकिन ये अपने नाम के मुताबिक sea यानि की समुन्दर में पाया जाता है। लेकिन धरती पर पाया जाने वाला सबसे जहरीला साँप इंलेड ताइपन है।

साँपो के कुछ रोचक तथ्य

1.साँपो के पैर नही होते इ स्केल्स की मदद से चलते है।

2.साँप अपने जीभ की मदद से सूंघते है।

3.साँप अपने आकार से कई गुना ज्यादा बड़ा शिकार निगल      लेते है।

4.कुछ साँप अंडे देते है और कुछ बच्चे को जन्म देते है ।

5.सभी साँप जहरिले नही होते लेकिन बिना कभी-कभी बिना जहर बाले साँपो के काटने से इंसान बहुत घबरा जाता है।और Hart attack से उनकी मौत हो जाती है।

6.किसी भी साँप के काटने पर चाहये वो कितना भी जहरीला हो। लगभग 1 से 2 घण्टे का समय होता है इलाज के लिए।

7. आप में से बहुत से लोग से सोचते होंगे की साँप सच में बिन पर नाचते है लेकिन साँपो के कान नही होते वो सिर्फ अपनी नजर सपेरे के आँख पर गड़ाये रहता है। और जिधर जिधर सपेरा घूमता है साँप भी उधर ही घूमता है। इस लिए वो नाचता हुआ प्रतीत होता है।













क्या आप जानते हो समुन्दर में कच्चे तेल का पता कैसे लगता है।


    समुन्दर में खनिज तेल का पता कैसे चलता है


दोस्तों आप लोगो में से बहुत लोगो को पता नही होगा की समुन्दर में तेल का पता कैसे चलता है।

समुंदर में तरल का पता लगाने के लिए सब से पहले सेटेलाईट की मदद से गुरुतत्व चुम्बकीय आंकड़े का पता लगाया जाता है इन आंकड़ो के आधार पर जिस  छेत्र का पता चलता है वह जहाज भेजे जाते है।
जो गुरुतत्व चुम्वक्य और भूकंपये जानकारी जामा करते है।
उस के बाद आंकड़ो का अध्यन क्र के ड्रिलिंग का काम चालू होता है।
तभी पता चलता है की वहा तेल है कि नही।

कैसे बनता है खनिज तेल।

दोस्तों खनिज तेल लाखो करोडो साल पहले समुंदर और उस के आस पास में रहने वाले जीव-जन्तुयो और वनस्पतियो के अवशेषो से बना है। जब ये नष्ट हुए तो इन पर रेत और मिटी की परतें चढ़ती चली गयी। जो बाद में बाद चटानो का रूप धारण कर लेती है। और लाखो- करोडो साल बाद ये गहरे द्रव में तब्दील हो के चटानो के बीच जहा जगह मिली वहा जमा हो गये। इस द्रव को कच्चा तेल या खनिज तेल कहा जाता है।

Thursday, 19 July 2018

केक्टस एक काटो वाला ताज

आप ने केक्टस का पौधा तो देखा होगा।आप में कुछ के घर तो लगा भी होगा। केक्टस की 3000, प्रजातियां पाई गयी है।केट्स को हम कही भी आसनी से ऊगा सकते है।कई देशो में तो इन्हे बड़े चाव से खाया जाता है।और उगाया जाता है।वैसे तो बहुत से केक्टस को खाया जा सकता है।
पर खाने में से 2 प्रजातियां प्रमुख्य होती है। ओपेन्सिया और नोपालिया । इनको ज्यादा तर खाने के लिए ही उगाया जाता है।ओपेन्सिया अमरीका, ब्राज़ील, उतरी अफ्रीका मिठाई के रूप में खायी जाती है ।
और मैक्सिको में नोपालिया को सब्ज़ी के रूप में खाया जाता है।
इनके एलावा केक्टस को सलाद, जेम,रस,और कई तरह के दवाइयां भी बनती है।