जानिए पैरासूट का इतिहास
दोस्ते सदियों से मनुष्य की आसमान में उड़ने की इच्छा रही है।
इसलिए मानव ने हवाई जहाज , हेलीकॉप्टर, रॉकेट, यादि का आविष्कार किया। लेकिन खुले आसमान में उड़ने की इच्छा अधूरी ही रही। आज हम आप को मानव के उस अविष्कार के बारे में बातेंगये जो सायेद इस इच्छा को पूरी करती है। जी हां हम बात कर रहे है पैरासूट की। आज हम आप को पैरासूट के इतिहास के बारे में बातेंगये।
दोस्तों पैरासूट का की खोज इतनी आसानी से नहीं हुयी। इसके लिए बहुत से लोगो ने ने मेहनत की है। यह तक की कुछ लोगो ने अपनी जान भी गवाई है
पैरासूट का इतिहास
कहते है। कि सबसे पहला पैरासूट इटली के वैज्ञानिक लुनार्डो दसी ने आज से करीब 500 साल पहले बनाई। उसके बाद बहूत से लोगो ने इसमें सुधार किये और नए डिज़ायन बनाये।
1783 एक फ्रांसीसी डॉक्टर ने लकड़ी के ढांचे पर कपडा लगा कर एक ऊँची इमारत से छलांग लगा कर सब को हैरान कर दिया।
1797 में एक और अन्य फ्रांसीसी आंद्रे गनिरंन ने हवा में उड़ते हुए गुब्बारे से 3000 फुट की ऊँचाई से छलांग लगाई। इ देख कर वह मौजूद बहुत से लोग डर गए। लेकिन जैसे ही पैरासूट में हवा भरी आंद्रे आसानी से धीरे-धीरे नीचे उतर गए।
शुरुआत में पैरासूट लकड़ी के ढांचे से में कपडा बाँध कर बनाये जाते थे।
फान टासल नमक आदमी ने सूती कपड़े का पैरासूट बनाया जो बहुत मशहूर हुआ था। कुछ समय बाद रेसमी कपडे का उपयोग होने लगा जो बहुत हल्का और मजबूत हो गया।
अब पैरासूट नायलोन के बनते है। जो की बहुत हलके और पहले से काफी मजबूत होते है। की रोचक बातें
पैरासूट में उपयोग
आरंभ में पैरासूट से छलांग सिर्फ एक खेल के रूप में देखते थे। बाद में धीरे-धीरे लोगो को पता चला की इससे पायलट की जान भी बचाई जा सकती है।
दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान हाजरो पायलटो ने अपनी जान पैरासूट बचाई।
पैरासूट के द्वारा दुश्मन के के परदेश में सेना उत्तरी जाती है।
खाने पीने का सामान व् बोम्ब वगेरा भी सेना के मोर्चे में पैरासूट के द्वरा गिराया जाता है।
पैरासूट के द्वरा बड़े और तेज चलने वाले हवाई जहाज को रोकने के लिए उप्योग में लाया जाता है। जिस से जहाज की गति काम जो जाती है और आसानी से ब्रेक लग जाता है।
कुछ लोग मनोरंजन के लिए भी बड़ी बड़ी इमारते या पहाड़ो के ऊपर से भी पैरासूट से छलांग लगाते है।
अंतरिक्ष यात्री भी पैरासूट से के द्वरा ही नीचे आते है।
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