कड़कती बिजली
बारिश के मौसम में तो बिजली का कड़कना आम बात है।लेकिन क्या आप जानते है। हर दिन करीब 30 लाख बार से भी ज्यादा कड़कती है। मतलब प्रति सेकेण्ड 35 बार धरती के भू मध्य रेखा के आप पास सबसे ज्यादा बार बिजली कड़कने की घटनाएं होती है।
बिजली कैसे बनती है।
बहुत से लोग ये सोचते होंगे की आसमान में कड़कने बाली बिजली आखिर बनती कैसे है
आसमानी बिजली दरअसल के विद्युत की बहुत ही ज्यादा शक्तिसाली धारा है।
जो की हमारे घर में दौड़ने बलि बिजली से कई गुना खतरनाक होता है। इसका बनना इस बात पर निर्भर करता है की बदलो में धूल,पानी,और बर्फ, के कण आपस में कितनी तेज और जोर से टकराते है इनके टकराने से ही बदलो में इलेक्ट्रॉनिक तरंगे उत्पन होती है
एक सामान नही होती बिजली
आसमान में कड़कने बाली बिजली एक सामान नही होती।
जिस प्रकार मुनष्य के उंगलियों के निशान एक समान नही होते। उसी प्रकार बिजली के आकार प्रकार,तीव्रता, में अंतर होता है।
बिजली का कड़कना बादल का गर्जना
बिजली के कड़कते समय जोर से आवाज़ होती है तो इसे बदल का गर्जना कहते है। ये आवाज़ बिजली के कोंध से उत्पन गर्मी के कारण हवा में विस्फोट से होता है। दरसल बिजली का कड़कना और बादल का गर्जना एक साथ होने वाली प्रक्रिया है। लेकिन प्रकाश की गति ध्वनि की गति से तेज होती है। इसी कारण है कि हमें बादल की कोंध और प्रकाश मे कुछ समय का अंतर दिखता है।

